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फील्ड हॉकी में Penalty Corner क्या होता हैं ?

Field Hockey News in Hindi

हॉकी न्यूज़ - फील्ड हॉकी में Penalty Corner क्या होता हैं ?

तमाम खेलों की तरह हॉकी में भी तमाम तरह के नियम एवं कानून होते हैं जैसे फुटबॉल में गोल क्रिकेट में स्टंपिंग कैच आउट और तरह-तरह के पॉइंट्स या नियम जिन्हें हम कह सकते हैं वह होते हैं ऐसे ही फील्ड हॉकी में भी एक बहुत महत्वपूर्ण नियम है जिसका नाम है पेनाल्टी कॉर्नर (Penalty Corner) आज हम आपको हॉकी में इस्तेमाल होने वाले पेनल्टी कार्नर के बारे में बताएंगे हम आपको बताएंगे यह पेनल्टी कार्नर क्या होता है कैसे इस्तेमाल होता है कौन इस्तेमाल करता है और कब कब का इस्तेमाल हो सकता है इससे दोनों टीमों को क्या फायदा एवं क्या नुकसान होता है.

फील्ड हॉकी खेल में पेनल्टी कार्नर (Penalty Corner) की क्या महत्वपूर्ण भूमिका है आज हम इस पर प्रकाश डालेंगे जब किसी भी टीम को पेनल्टी कॉर्नर मिलता है तो सामने वाली टीम को इससे क्या फायदा एवं नुकसान होता है आज हम इसके बारे में आपको बताएंगे क्योंकि हॉकी खेल में पेनल्टी कार्नर की एक महत्वपूर्ण भूमिका है.

आपको बता दें ही फील्ड हॉकी खेल में 11 खिलाड़ियों वाली दो टीमें एक समय पर मैदान पर एक दूसरे के सामने होती हैं जो 1 घंटे तक होने वाले इस मुकाबले में गोल करने के लिए विशेष प्रकार की स्टिक का इस्तेमाल करती हैं जो भी टीम विपक्षी टीम के खिलाफ ज्यादा गोल करती है वह विजई घोषित होती है इन्हीं सबके बीच विपक्षी टीम को एक मौका मिलता है जिससे वह गोल करने में आसानी होती है उसे हम पेनाल्टी कॉर्नर भी कहते हैं.

फील्ड हॉकी में Penalty Corner क्या है ?

जब मैदान में दोनों टीमों की तरफ से 11-11 खिलाड़ी हाथों में स्टिक लेकर हॉकी का खेल, खेल रहे होते हैं और मैच के दौरान स्ट्राइकिंग सर्किल के अंदर विपक्षी टीम का अगर कोई खिलाड़ी किसी तरह का भी फाउल करता है तो सामने वाली टीम को पेनल्टी कॉर्नर के रूप में एक मौका मिलता है, हालाकि आम तौर पर यह देखा जाता है कि जब सर्किल के अंदर गेंद खिलाड़ी के पैर छू छू जाती है तो विपक्षी टीम को पेनल्टी कॉर्नर का एक मौका मिलता है. पेनाल्टी कॉर्नर (What is Penalty Corner in Hockey) एक तरह का नियम है जिससे विपक्षी टीम को थोड़ा नुकसान और दूसरी टीम को थोड़ा फायदा होने की उम्मीद रहती है.

आपको बता दें कि यदि स्ट्राइकिंग सर्किल के बाहर कोई गलती किसी खिलाड़ी के द्वारा होती है लेकिन 23 मीटर क्षेत्र के अंदर तो अंपायर पेनाल्टी कार्नर दे सकता है पेनल्टी कार्नर के दौरान गेंद को बैक लाइन पर रखना होता है जो गोलपोस्ट से 10 मीटर की दूरी पर रखी जाती है.

खिलाड़ी गेंद को हिट करता है

गोल पोस्ट से 10 मीटर दूरी पर गेंद रखने के बाद खिलाड़ी गेंद को हिट करता है लेकिन इस दौरान अटैक करने वाली टीम डी बॉक्स के अंदर नहीं हो सकती है अन्यथा पेनल्टी कॉर्नर नहीं माना जाएगा.

मैच के शुरू होने के दौरान ही पेनल्टी कार्नर के समय पर गोल करने के लिए हर टीम अपनी एक अलग रणनीति बनाकर तैयार करती है और जब टीम को पेनल्टी कार्नर से गोल करने के लिए मौका मिलता है तो टीमें वही रणनीति का इस्तेमाल करती हैं. ईमेल एड्रेस क्लिक स्टाइल का इस्तेमाल करती हैं यहां टीम का एक खिलाड़ी गोल को डिफेंड करने वाली टीम को चकमा देने का प्रयास करता है जो अगर सफल होता है तो टीम जो बोल कर रही होती है वह विपक्षी टीम से एक गोल से आगे हो जाती है.

आपको बता दें कि पेनाल्टी कार्नर को शॉर्ट कॉर्नर भी कहा जाता है इस दौरान गोलकीपर सहित पांच से अधिक खिलाड़ी गोल को डिफेंड नहीं कर सकते हैं.

हॉकी में पेनाल्टी स्ट्रोक क्या है ? Penalty Stroke In Hindi

ऊपर पर लिखे लेख में अपने जाना कि पेनाल्टी कार्नर फील्ड हॉकी में क्या होता है और उससे दोनों ही टीमों को क्या फायदा एवं नुकसान होता है अब हम आपको बताएंगे की पेनाल्टी स्ट्रोक क्या होता है और यह टीम को कब दिया जाता है या इससे टीम का क्या फायदा होता है.

पेनाल्टी स्ट्रोक (Penalty Stroke In Hindi) या पेनाल्टी फ्लिक तब भी आ जाता है जब गोल करने के मौके को रोकने के लिए सर्किल के अंदर फाउल हो जाता है या यूं कहें कि सी टीम से सर्किल के अंदर गोल करने के मौके को रोकने के लिए फाउल हो जाता है, पेनल्टी कार्नर के विपरीत पेनल्टी स्ट्रोक होता है जहां गेंद को पेनाल्टी सपोर्ट पर रखा जाता है.

पेनाल्टी स्ट्रोक गोल लाइन से 6.475 मीटर की दूरी पर होती है, अटैक करने वाला खिलाड़ी गेंद को हिट करने का प्रयास करता है जबकि गोलकीपर गेंद को गोल रेखा के पार होने के रोकने के लिए अपने शरीर का या स्टिक का इस्तेमाल करता है.

Aditya Jaiswal
Aditya Jaiswalhttps://bestfieldhockeynews.com/
फील्ड हॉकी आइस रिंक या घास के मैदान पर खेला जाने वाला खेल है। यह फ़ुटबॉल के खेल के समान है, लेकिन गेंद को खिलाड़ी की छड़ी से ही स्थानांतरित किया जा सकता है। प्रति टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं, और प्रत्येक टीम में एक समय में मैदान पर छह खिलाड़ी होते हैं।

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