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कृत्रिम शोर के बीच अभ्यास कर रही भारतीय टीम, कोच रीड ने निकाला हल

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हॉकी न्यूज़ - कृत्रिम शोर के बीच अभ्यास कर रही भारतीय टीम, कोच रीड ने निकाला हल

15 पुरुष हॉकी विश्वकप का आगाज एक दिन बाद होने जा रहा है. इसके लिए टीम जोरो-शोरो से तैयारियां कर रही है. वहीं भारतीय टीम सालों पुरानी एक योजना के साथ इस बार अभ्यास कर रही है. दरअसल भारतीय टीम दर्शकों के शोर से निपटने के लिए कृत्रिम आवाज का सहारा ले रही है. और भारतीय हॉकी टीम लाउडस्पीकर की आवास के बीच अभ्यास कर रही है. कोच ग्राहम रीड ने यह 1990 में अनुभव किया था जिसके लिए उन्होंने यह समाधान निकाला है. उन्होंने लाहौर विश्वकप के दौरान ऐसे ही अनुभव से सामना किया था. इसके लिए अभ्यास के दौरान कृत्रिम शोर रखा जा रहा है जैसा स्टेडियम में मैच के दौरान होता है.

ग्राहम रीड के नेतृत्व में कृत्रिम शोर में हो रहा अभ्यास

बता दें साल 1990 हॉकी विश्वकप में ऑस्ट्रेलिया को स्टेडियम में 40 हजार दर्शकों के शोर के बीच खेलना पड़ा था. लेकिन उस समय उन्हें इसकी आदत नहीं थी. रीड याद करते हैं कि वे आपस में बोलकर खेला करते थे लेकिन शोर म टीम को किसी की आवाज सुनाई नहीं दी थी. इसका नतीजा यह निकला था कि उन्हें पाकिस्तान से हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इसके बाद इससे सबक लेते हुए उन्होंने जर्मनी के खिलाफ मैच से पहले लाउडस्पीकर की आवाजों के बीच बिलकुल चुप रहकर अभ्यास किया.
तो रीड ने यह समाधान निकाला है कि वह खिलाड़ियों को अभी से ही शोर के बीच चुप रहकर खेलना सीखा रहे है. ताकि राउरकेला के स्टेडियम में होने वाली भयंकर भीड़ के बीच खिलाड़ी अपना मनोबल नहीं गंवा सके. और अपने खेल पर ध्यान रखते हुए अच्छा प्रदर्शन करें.

 

रीड ने बताया कि, ‘टीम में गोलकीपर श्रीजेश और कप्तान हरमनप्रीत सिंह को जोर से बोलने की आदत है. दोनों खिलाड़ी बोलकर ही पास देते हैं. और दूसरे खिलाड़ी को भी निर्देश देते हैं. इन दोनों ही खिलाड़ियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बोलेंगे नहीं सिर्फ आँखों में देखेंगे और हाथों से इशारा करेंगे और अपने खेल पर फोकस करेंगे.

 

Yash Sharma
Yash Sharmahttps://bestfieldhockeynews.com/
फील्ड हॉकी एक आयताकार मैदान पर 11 खिलाड़ियों की दो टीमों द्वारा खेला जाने वाला खेल है, जिसका उद्देश्य गेंद को विरोधी टीम के गोल में डालना है।

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